knn24.com/केंद्र सरकार से राज्य के हिस्से की राशि नहीं मिलने के कारण सरकार ने एक हजार करोड़ का और कर्ज लिया है। इस तरह वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार 7500 करोड़ कर्ज ले चुकी है। विधानसभा में पारित छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक के बाद अब सरकार एक साल में 18 हजार करोड़ कर्ज ले सकती है।
राज्य सरकार को आरबीआई ने एक साल में 12 हजार करोड़ की क्रेडिट लिमिट तय की है। हालांकि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी थी, लेकिन कोरोना की वजह से लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह बंद हो गई थीं। इस वजह से राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। हालांकि कारखाने, दुकानें खुलने के बाद सरकार ने जीएसटी वसूली में बेहतर काम किया।
इसके बावजूद केंद्र सरकार ने अब तक जीएसटी की चार हजार करोड़ से ज्यादा की राशि नहीं लौटाई है। यही वजह है कि कोरोना के बाद से सरकार को लगातार कर्ज लेने की जरूरत पड़ रही है। राजीव किसान न्याय योजना की किस्त के अलावा अब रूटीन के कामकाज के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस वित्तीय वर्ष में 7500 करोड़ कर्ज ले चुकी है।
कोरोना के बाद वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए सीएम भूपेश बघेल लगातार केंद्र से राज्य के हिस्से की राशि देने की मांग कर रहे हैं। अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान भी सीएम ने इस बात का जिक्र किया था कि राज्य के हिस्से की राशि देने के बजाय केंद्र द्वारा कर्ज लेने का दबाव डाला जा रहा है। राज्य सरकार को केंद्र सरकार से करों का जो हिस्सा देना था, उसमें 26013 करोड़ निर्धारित था। इसमें केवल 20205 करोड़ ही मिले हैं। 6 हजार करोड़ केंद्र सरकार ने अब तक नहीं दिया है।
इसी तरह जीएसटी क्षतिपूर्ति की 4506 करोड़ की राशि मिलनी थी, जो अब तक नहीं मिल पाई है। यह कोरोना से पहले की स्थिति है। केंद्र सरकार ने ही राज्यों से अतिरिक्त ऋण लेने की सलाह दी है। 1813 करोड़ रुपए अतिरिक्त ऋण लेने कहा गया था, जिसे राज्य ने अब तक नहीं लिया है। सीएम ने यह भी बताया था कि केंद्र का वित्तीय घाटा अक्टूबर तक बजट अनुमान में 20 फीसदी से ज्यादा हो चुका है, जबकि छत्तीसगढ़ में यह 7 फीसदी से कम है।